शिकार

वापी मुम्बई रोड पर सुबह सुबह मिली एक 10 साल की बच्ची की लाश ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी। पूरे इलाके में सिर्फ उस लाश की चर्चा ही हो रही थी। हालांंकि जिस जगह लाश मिली वह कोई आबादी वाला इलाका नहीं था। लेकिन पास के कस्बे के जो लोग उस स्थान पर सैर करने आए थे  वे  लाश की बात सुनकर वहीं ठिठक गए। सड़क पर  आने जाने वाली गाड़ियां  भी  भीड़ को देख कर  रुक गई। इस तरह  सुबह 7:00 बजे ही  घटनास्थल पर  अच्छी खासी भीड़ जमा हो गई थी। पुलिस की गाड़ी जब सायरन बजाती हुई आई, तब लोगों ने  अपने अपने वाहन हटाने शुरू किए। पुलिस की 2 गाड़ियां भीड़ के पास आकर रुकी।  इंस्पेक्टर गोडबोले अपने मातहतों के साथ गाड़ी से उतरे और घटनास्थल पर मौजूद लोगों को हटाया और लाश को देखने लगे। सहायक इंस्पेक्टर राजीव को घटनास्थल पर खड़े  लोगों से  पूछताछ के लिए कहकर वह लाश का मुआयना करने लगे। वह लाश करीब 9-10 साल की बच्ची की थी, जो एक बोरे में बंद थी। कुत्तों ने मांस की गंध पाकर बोरा फाड़ दिया था जिससे बच्ची का चेहरा बाहर आ गया था। बच्ची का रंग गोरा था तथा देखने से वह अमीर घर की लड़की लग रही थी। इंस्पेक्टर गोडबोले सिपाहियों से कहकर लाश को बोरे से बाहर निकलवाया। बच्ची ने बहुत महंगे कपड़े पहने हुए थे, जिनको कोई मध्यम वर्गीय परिवार वहन नहीं कर सकता। इस तरह के परिधान किसी विशेष अवसर पर पहने जाते हैं। इंस्पेक्टर गोडबोले ने लाश का बारीकी से मुआयना किया।  के शरीर पर कहीं भी कोई भी चोट का निशान नहीं था। लेकिन लाश के हाथ पैर गमछो सेेे बंधे हुए थे।
उधर सहायक इंस्पेक्टर राजीव घटनास्थल पर खड़े लोगों से बातचीत कर रहे थे। एक आदमी ने बताया कि लाश को सबसे पहले उसी ने देखा और तुरंत पुलिस को फोन कर दिया। उसने बताया कि वह सुबह की सैर के लिए निकला था तो एक झाड़ी के पीछे कुछ कुत्तों को कुछ खींचते हुए देखा तो उसको संदेह हुआ। उसने पत्थर फेंककर कुत्तों को भगाया और झाड़ी के पीछे जाकर देखा कि कुत्ते एक बोरी को फाड़ रहे थे और उस बोरी में से एक लड़की का चेहरा नजर आ रहा था उसने तुरंत पुलिस को फोन कर दिया। सहायक इंस्पेक्टर राजीव ने कुछ और लोगों से बात की और जा कर सारी बात इंस्पेक्टर गोडबोले को बताई। इंस्पेक्टर गोडबोले ने सारी बात ध्यान से सुनी और सिपाहियों को आसपास के क्षेत्र का बारीकी से मुआयना करने के लिए भेज दिया। हालांकि लाश को देखकर प्रथम दृष्टया यह साफ लग रहा था था कि घटनास्थल पर कोई भी सबूत नहीं मिलेगा क्योंकि लाश सड़क के किनारे पड़ी थी और लाश के पास ही टायर से  घास कुचलने के निशान थे जिससे साफ जाहिर होता था कि लाश कार में से झाड़ियों के पीछे फेंकी गई है। लेकिन एक छोटा सा सबूत भी पूरे मामले की गुत्थी खोल सकता है, इसीलिए सिपाहियों को आसपास छानबीन करने के लिए कह कर इंस्पेक्टर गोडबोले खुद भी लाश के आसपास छानबीन करने लगे। 
लगभग आधा घंटा घटनास्थल की छानबीन करने के बाद पुलिस टीम को निराशा हाथ लगी क्योंकि ऐसा कुछ भी नहीं मिला जो संदिग्ध हो और मामले को सुलझाने में कुछ मदद कर सकें। इंस्पेक्टर गोडबोले ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और टीम को लेकर पुलिस स्टेशन चले गए।
पुलिस स्टेशन आकर इस्पेक्टर गोडबोले ने सहायक इंस्पेक्टर राजीव, सहायक इंस्पेक्टर विनय और सहायक इंस्पेक्टर मालती की एक टीम बनाई और उनको घटनास्थल के आसपास के इलाके में लोगों से पूछताछ करने के लिए भेज दिया। सहायक इंस्पेक्टर विवेक को उन्होंने आसपास के सभी थानों में यह पता करने के लिए कहा कि क्या किसी थाने में 8से 10 साल की किसी लड़की की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज है।
पूरी पुलिस टीम मुस्तैदी से अपने काम में लग गई। स.इं. राजीव की टीम घटनास्थल के आसपास के इलाके में पूछताछ में जुट गई जहां पर बच्ची की लाश मिली उस से 2 किलोमीटर दक्षिण में मोगरा कस्बे की आबादी शुरू होती थी घटनास्थल के आसपास आबादी का नामोनिशान नहीं था इसलिए वहां पर कोई सुराग नहीं मिल सकता था पुलिस टीम ने अपने स्तर पर काफी पूछताछ की लेकिन कोई भी सुराग नहीं मिल सका 2 दिन की कोशिश के बाद उन लोगों ने पुलिस स्टेशन आकर इंस्पेक्टर गोडबोले को अपनी रिपोर्ट दे दी
उसी दिन शाम को लाश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण दम घुटना बताया गया हत्यारे काफी शातिर थे बच्चे के शरीर पर से उंगलियों के कोई भी निशान नहीं मिले इससे जाहिर होता था कि हत्यारों ने ग्लव्स पहने हुए थे पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह दर्शाया गया था की बच्चे की हत्या गला दबाकर नहीं बल्कि हाथों से नाक और मुंह दबाकर की गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक हत्या सुबह करीब 4:00 बजे हुई थी।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़कर इंस्पेक्टर गोडबोले सोच में पड़ गए। बच्ची के शरीर पर कोई चोट या जबरदस्ती के निशान नहीं थे इतनी छोटी सी बच्ची को मारने का क्या कारण हो सकता है। उनको यह मामला अपहरण और फिरौती का लग रहा था अपहरण के बाद फिरौती ना मिलने पर अपहर्ताओं ने बच्ची की हत्या कर दी होगी। या फिर यह मामला आपसी रंजिश का भी हो सकता था। उन्होंने सहायक इंस्पेक्टर विवेक को बुलाया और उनसे बच्ची की गुमशुदगी की रिपोर्ट के बारे में पूछा। इंस्पेक्टर विवेक ने बताया की क्षेत्र के सभी थानों में बच्चे की फोटो भेज दी गई थी लेकिन कहीं पर भी बच्ची की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई है।
यह सुनकर इंस्पेक्टर गोडबोले के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई बच्चे के कातिलों को पकड़ने के लिए बच्चे की शिनाख्त बहुत जरूरी थी उन्होंने विवेक को पूरे महाराष्ट्र के सभी थानों में बच्चे की फोटो भेजने के लिए कहा क्योंकि उनको लग रहा था की बच्ची की हत्या करके हत्यारे उसको यहां पर फेंक कर चले गए गोडबोले के अनुमान के अनुसार बच्चे की हत्या यहां से कहीं दूर की गई थी।
अगले दिन अर्दली ने इंस्पेक्टर गोडबोले को सूचना दी कोई व्यक्ति उनसे मिलना चाहता है और बच्ची के कत्ल के बारे में कुछ कहना चाहता है इंस्पेक्टर गोडबोले ने उसको अंदर बुलाया वह आदमी अंदर आया और इंस्पेक्टर गोडबोले को नमस्कार करके बोला, ' सर मोगरा कस्बे के पास जो बच्चे की की बातें लाश मिली है उसके बारे में कुछ बताना चाहता हूं। मुझे केवल संदेह है लेकिन हो सकता है कि आपकी काम की कोई बात हो।'
' हां बोलो जो बोलना है साफ-साफ बताओ।' इंस्पेक्टर गोडबोले उत्सुकतावश बोले।
' सर मैं  मोगरा  कस्बे का रहने वाला हूं। मैं वापी में Max20 इंटीरियर्स कारपेंटर का काम करता हूं। 29 अप्रैल को मैं सुबह 5:00 बजे अपनी रात की ड्यूटी खत्म करके घर आ रहा था। मोगरा से करीब 1 किलोमीटर पहले एक Tata Sumo तेजी से मुझे ओवरटेक कर के निकली। लेकिन मोगरा से पहले पुलिस की चेकिंग को देख कर उसने वापस यू टर्न ले लिया और  वापस  वापी की तरफ  मुड़ गई और तेजी से  मेरे पास से निकल गई मुझे उसे देखकर संदेह हुआ। मैंने उसका नंबर नोट करने की कोशिश की लेकिन एक तो सुबह का हल्का अंधेरा था और गाड़ी की स्पीड भी तेज थी इसलिए मैं उसका नंबर नोट नहीं कर पाया। फिर मैं सीधे घर आ गया। उसी दिन मैं बच्चों को लेकर मसूरी चला गया और वहां से उनकी नानी के पास उन्हें छोड़ कर आज ही वापस आया तो बच्ची की लाश के बारे में सुनाI मैं तुरंत बिना समय लगाए आपके पास आ गया।' 
इंस्पेक्टर गोडबोले ने उस व्यक्ति की बातें ध्यान से सुनो और बोलो, ' क्या उस गाड़ी की और डिटेल दे सकते हो?'
सर हालांकि सुबह 5:00 बजे का धुंधलका था फिर भी मैंने देखा की गाड़ी सफेद रंग की गाड़ी थी और उस पर आंध्र प्रदेश का नंबर था उस गाड़ी के शीशे काले थे और पीछे के शीशे पर चीते की फ़ोटो लगी थी। बस इससे ज्यादा में कुछ नहीं देख पाया।'
उस व्यक्ति की बात सुनकर इंस्पेक्टर गोडबोले की आंखों में चमक आ गयी। उन्होंने तुरंत सहायक इंस्पेक्योर राजीव को बुलाया और उसको मुम्बई वापी हाईवे पर मोगरा से वापी तक सभी दुकानों की सीसीटीवी फूटेज चेक करने के लिए कहा।
इंस्पेक्टर गोडबोले ने इस काम के लिए 5 लोगों की टीम बनाई और 2 दिन के अंदर रिपोर्ट देने को कहा। 
दो दिन की अथक मेहनत के बाद टीम को कामयाबी मिली। मोगरा कस्बे से 13 किमी आगे एक कस्बा पड़ता है नीमा। उसमे एक एक grosssery स्टोर पर लगे सीसीटीवी कैमरे में चश्मदीद की बताई हुई आंध्र प्रदेश नंबर की कार दिखी, जिसके शीशे पूरी तरह काले थे तथा जिसके पीछे चीते की फ़ोटो छपी थी। सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में कार का नंबर साफ नजर आ रहा था। रिकॉर्डिंग में दिख रहा था कि सुबह 6:43 मिनेट पर कार स्टोर के सामने आकर रुकी। उसमें से टोपी लगाए एक आदमी उतरता है। लेकिन उसका चेहरा टोपी के नीचे छिपा था। कार से उतार कर वह व्यक्ति स्टोर में गया। थोड़ी देर बाद वह हाथ में कुछ सामान लिए आया। ड्राइवर ने  उस व्यक्ति के लिए दरवाजा खोल दिया  और वह व्यक्ति  कार में बैठ गया  इसके बाद  कार वहां से चली गई
इंस्पेक्टर गोडबोले ने SI राजीव को कार का नंबर देकर उसकी डिटेल निकलवाने के लिए कहा 1 घंटे बाद SI राजीव ने बताया की कार आंध्र प्रदेश में हैदराबाद के मोनीपोचू कस्बे के रहने वाले किसी मंसूर आलम की है रिकॉर्ड में मंसूर आलम का मोबाइल नंबर भी था लेकिन वह फिलहाल बंद था इस्पेक्टर गोडबोले ने SI राजीव को मोनीपोचू थाने से संपर्क करके मंसूर आलम की डिटेल लेने के लिए कहा इंस्पेक्टर राजीव ने मोनीपोचू थाने में संपर्क किया और थाना इंचार्ज से मंसूर आलम की डिटेल जल्दी से जल्दी भेजने का अनुरोध किया।
मोनीपोचू थाना इंचार्ज ने तुरंत दो मातहतों को मंसूर आलम का पता देकर उसके घर पर भेजा और उसको पूछताछ के लिए थाने लेकर आने को कहा।
करीब दो घंटे बाद मोनीपोचू थाना इंचार्ज ने इंस्पेक्टर गोडबोले को फ़ोन करके बताया कि कार मंसूर आलम की ही है। लेकिन वह पिछले 1 हफ्ते से कार के साथ गायब है। उसके घरवाले उसको लगातार फोन कर रहे हैं, लेकिन उसका फोन भी एक हफ्ते से बंद है। इंस्पेक्टर गोडबोले ने थाना इंचार्ज मोनीपोचू से मंसूर आलम का मोबाइल नंबर लिया और उनको बच्ची की लाश की फ़ोटो भेजी और उसके बारे में भी जानकारी करने के लिए कहा।  
अगले दिन थाना इंचार्ज मोनीपोचु ने इंस्पेक्टर गोडबोले को बताया कि मंसूर आलम की घटना में प्रयुक्त कार किराए पर चलती है। हनीफ उसका स्थायी ड्राइवर है। उन्होने हनीफ की फोटो और मोबाइल नम्बर भी इंस्पेक्टर गोडबोले को दे दिया।  




No comments:

Post a Comment